खोलते है साई बाबा क़िस्मत का ताला
सिर पे पटका बदन पे चोला कैसा वो निराला रे, खोलते है साई बाबा क़िस्मत का ताला, जिस बंदे पे
सिर पे पटका बदन पे चोला कैसा वो निराला रे, खोलते है साई बाबा क़िस्मत का ताला, जिस बंदे पे
शिरडी के साई बाबा मैं दुवार तुम्हारे आया, करदा तू आशा पूरी मैं गमो का हु सताया, शिरडी के साई
तेरे देने के रस्ते हजार साई , किसे देना है कब तेरी मर्जी है सब, करे चिंता क्यों हम ये
खेल तुम्हारे सब से निराले हे शिरडी वाले हे शिरडी वाले, खोले सब की किस्मत के ताले हे शिरडी वाले,