साई राम तुम्हारी शिरडी में
साई राम तुम्हारी शिरडी में मुझे मेरे चारो धाम मिले, आंगन में द्वारका माई के कही राम मिले कहे श्याम
साई राम तुम्हारी शिरडी में मुझे मेरे चारो धाम मिले, आंगन में द्वारका माई के कही राम मिले कहे श्याम
जो भी दीवाना है साईं का गुंगो से अगर पूछो लिख कर वो बता देंगे, शिर्डी का रस्ता तो अंधे
गीत ख़ुशी के गाने लगी है, ये पटी हर ढाल की घर से अपने लेके चले है साई की हम
रख लो नौकर दरबार मैं साई तेरे घर आया, मैं साई तेरे दर आया,रख लो नौकर दरबार तेरे रूप अनके
मेरा हाथ पकड़ ले साई और शिरडी ले कर चल, इस मन को वश में करलो ये मन है ये
बाबा मेरे साईं बाबा जो तुझ से मिला है कंही न मिला , बाबा मेरे साईं बाबा जोह तुझ से
हे साईं राम हे साईं राम बाबा शिर्डी वाले पावन तेरा धाम हे साईं राम हे साईं राम तू है
अब साई छतर की छाया में , थक हार के आ बैठे है, अब धुप की अगनि कुछ भी नहीं
नजारा नजारा सुंदर नजारा शिर्डी का प्यारा, हो गया मैं तो सिर को झुका के साईं राम साईं राम साईं
साईं तेरो नाम बनाये हर काम तेरे द्वारे जो भी आये बिन मानगे सब कुछ पा जाए तुम हो दयालु