देता जा तू लिख लिख अर्जी
देता जा तू लिख लिख अर्जी, क्या फल देना साई की मर्जी, ना ही चलती यहाँ किसी की विनती फ़र्ज़ी,
देता जा तू लिख लिख अर्जी, क्या फल देना साई की मर्जी, ना ही चलती यहाँ किसी की विनती फ़र्ज़ी,
शिरडी भुलाना हर साल बाबा, रखना हमारा ख्याल बाबा, हमें न भुलाना साई हमे न भुलाना, तुम ही हो सब
कहाँ जाके फरियाद करू, तू ही मेरा ठिकाना है, तू ही है माझी तू ही किनारा, तू ही भवर है
धूम है मेरे साईं के अंगना,नूर की हर तरफ रोशनी है मांगलो मेरे साई से भक्तो क्या खजाने में इनके
सांसो की माला पे सिमरु मैं साईं नाम, साईं को जपते जपते गुजरे मेरे शुबह हो शाम, साईं के सहारे
मुझे शिरडी को जाने का बहाना मिल गया होता, मुझे मझधार में कोई किनारा मिल गया होता, मुझे शिरडी को
जिन्दगी मेरी यूँ ही गुजर गयी, बिन तेरे साईं बिन तेरे साईं ॥ पापी था ये मन पापी ये जीवन,
सइयां वे मेरे सइयां संगता तेरे दर आइए, साहनु ला ले अपनी चरनी सइयां, आहा एह साडा पीर साई आ
दुखो को दूर करे फकीर वाले वेश में, एक फकीरा आया है शिरडी के इस देश में, जय श्री साई
कल कल करते ही सारा ही ये जीवन निकल चला, अब तो तू एह मूरख बंदे करले काम भला. जपले