जो भी आया द्वार तिहरे खाली हाथ न लौटा
जो भी आया द्वार तिहरे खाली हाथ न लौटा, जिस के सिर पर हाथ तिहारे उसका जीवन पलटा, एक पल
जो भी आया द्वार तिहरे खाली हाथ न लौटा, जिस के सिर पर हाथ तिहारे उसका जीवन पलटा, एक पल
चली रे चली रे चली चावड़ी की और चली साई की पालकी, बोलो जय जय साई नाथ की, दिन गुरूवार
सोचो तो पत्थर है मानो तो तुम भगवान, अपने अपने ढंग से कर लो तुम सबका समान करो रे राम
नचने दे मुझे नचने दे बाबा के द्वारे मुझे नचने दे, पाँव में पायल बालो में गजरा आँखों में मेरी
मेरा सरियाँ तो सोहना दिल दार ओह्दी न मिसाल जग ते, किता रब ओहदा हार ते शृंगार ओह्दी न मिसाल
सुख चैन करार मिले सबको अरदास यही, साईं तेरा प्यार मिले सब को अरदास यही है, सबके संकट हर लो
तुम्हारे दर पे आया हु,मैं झोली भर ले जाउगा, जो तुमने सुनी न मेरी तो साई रो रो मर जाऊँगा,
तुम्हरे द्वारे आन पड़ी हु शिरडी के महाराज, साई बाबा हमारी रखो लाज लाज, साई नजरियां करदो कर्म की सब
पूरब पश्चिम उतर दक्षिण में है शोरत साई की, यहाँ तलग जाये गी नजर पाओ गए हकूमत साई की, जहाँ
भरदे रे साईं झोली भरदे ,भरदे ना बहलाओ बातों में …… दिन बीते बीती राते अपनी कितनी हुई रे मुलाकाते,