साईं के दरबार में
खुशियों के दीपक जलते है, साईं के दरबार में, दुःख भी सारे सुख लगते है साईं के दरबार में जिसने
खुशियों के दीपक जलते है, साईं के दरबार में, दुःख भी सारे सुख लगते है साईं के दरबार में जिसने
साई का संदेसा कितना नेक सबका प्रिया मालिक एक, साई सदा शिव साई गणेश,सबका भैया मालिक एक, जिसके संग है
मेरे साई का नाम मेरे बाबा का, पतितपावन नाम है ये पतितपावन नाम है ये, मेरे सतगुरु साई नाथ बैठे
सांई मस्त मलंगा, मन साई रंग रंग रंगा, सांई मस्त मलंगा…. घर घर जा कर अलख जगाये मन को अंदर
दिल यह कह रहा है एक बार देख लूँ, शिर्डी वाले साईं का दरबार देख लूँ । साईं बाबा दर
लाख सहारे दुनिया के पर मेरा सहारा साईं है, इस झूठी नगरी माया में बस मेरा सहारा साईं है, लाख
होठो पे एक नाम रहता है सुबहो शाम, दूजा नही कोई काम साईं राम साईं राम, बिन मांगे देते है
मेरे साई नाथ ने क्या से क्या बना दियां, माँगा था कतरा मैंने दरिया बना दियां, मेरे साई नाथ ने
साई इतना रेहम कीजिये, लाज दुखियां की रख लीजिये, साई इतना रेहम कीजिये तू है दयावान साईं मेहरवान, एह मेरे
शिर्डी धाम की बात निराली दर से कोई लौटा न खाली सिलसला चलता है यही सुबहो शाम का लख वारी