साई भगतन की भगती
हे साई नाथ तुम्हरो हमने कैसे रूप रचो पत्थर में, जाको जैसो मन को भावे वैसे रूप रचो भगवन ने,
हे साई नाथ तुम्हरो हमने कैसे रूप रचो पत्थर में, जाको जैसो मन को भावे वैसे रूप रचो भगवन ने,
रूखी सुखी खाई जप लिया साई, भगता ने इसी तरह उम्र बिताई, रूखी सुखी खाई जप लिया साई रोंदेया दिला
साई बाबा मेरे अल्लाह साई मेरे, आया हु तेरे दर पे कर्म हो कर्म, रेहमते हो तेरी मन्नते हो पूरी,
तेरा दर है साईं बड़ा दर तेरे पे मैं वारी जाऊ, तेरे दर के लिए है मेरा सिर तेरे दर
मैं हु दीवाना साई तेरा, करता हु तेरी बंदगी लगती है दर पे हज़ारी, साई जमाना साई तेरा, मैं हु
ज़माने में कहाँ टूटी हुई तस्वीर बनती है । तेरे दरबार में बिगड़ी हुई तकदीर बनती है ॥ तारीफ़ तेरी
धरती पे शिरडी जैसे अयोध्या जैसे है वृन्दावन अवध पति है साई, गोकुल के मनमोहन साई राम साई श्याम साई
भक्त ढूंढ रहे किसे ने साई राम देखा, भक्तो हमने साई राम श्रद्धा में देखा, मन की आस्था में भक्तो
जो तेरी ख़ुशी वो मेरी ख़ुशी, तू जो करता जो भी करता अच्छा साईं नाथ, जो शान में तेरी दखल
साईं रहमत से पाये है देवदार साई के ॥ बंके जोगिया माई नाचु दरबार साईं के ॥ दीदार साईं के,