ए भगवन को ढूंढने
ए भगवन को ढूंढने वाले क्या दुंदे पर्वत वन में, मन की कवाडिया खोल देख ले वो तो वसा तेरे
ए भगवन को ढूंढने वाले क्या दुंदे पर्वत वन में, मन की कवाडिया खोल देख ले वो तो वसा तेरे
साई साई बोल सदा साई साई बोल यु ही ना बिठाये ये जन्म अनमोल, साई तेरे है रखवाले क्यों है
साईं का रूप बनाके आया रे डमरू वाला, कशी को छोड़ के शिव ने शिर्डी में डेरा डाला रे, साईं
धर्म कर्म का ज्ञान नहीं अनजान जो पूजा पाठ से, दो अक्षर का नाम जपो जीवन को बिताओ ठाठ से,
जिधर भी देखू ओ मेरे साईं बस तू मुझको नजर आये मेरी सांसो की दुनिया में तेरा ही नाम उतर
हम है भक्त बाबा के क्यों डरे ज़माने से, वास्ता हमारा है शिरडी के घराने से, हम है भक्त बाबा
आये दर तेरे हम साई कार्डो कर्म, हो मसीहा बड़े बात में भी है दम, मेरी भी नाथ बिगड़ी बना
वैसा ही होना जग में जैसा साईं सुहाई उस मन में ज्योत जागी बैठी जो द्वारका माई पर्वत से उतरी
मैं खिलौना नही मैं भी इंसान हु, कौन समजे मुझे मैं परेशान हु, जख्म दुखता हुआ जिस्म बे जान हु,
तूने कहा था जो मेरे दर पे आता है, मालिक की किरपा से हर दुःख मिट जाता है, आज मैं