
दरबार में शिरडी वाले के दुःख दर्द
दरबार में शिरडी वाले के दुःख दर्द मिटाये जाते है, दुनिया के सताए लोग यहाँ सीने से लगाए जाते है

दरबार में शिरडी वाले के दुःख दर्द मिटाये जाते है, दुनिया के सताए लोग यहाँ सीने से लगाए जाते है

साईं की सूरत बना के श्याम शिर्डी में आये, देखो जी हां जी हां जी देखो जी श्याम शिर्डी में

चलो लेके चलें बाबा की पालकी, मिल के कहते जाए जय साई की, जय साई की जय साई की, जग

भर देते है खाली दामान,ये तो बड़े दयालु है, भर देते है खाली दामान॥ जो इनके दवार आता है मुरदे

मुझ को जमीन आसमान मिल गई, साईं क्या मिले सब कुछ मिल गए । मुझ को जमीन आसमान मिल गई,

तेरी रेहमतो का दरिया सरेआम चल रहा है, मुझे भीख मिल रही है तो काम चल रहा है, तेरी आशिकी

अजे जितना दर्श तेरा होया दीदार तेरा होया तक़ तक़ नैन थक गये, की हो गई साई मेतो भुलना दर

कभी मेरे दिल में झाको साईं आके, दुखो पे मरहम लगाओ साईं, भुलाओ भूलो को मेरी लेकिन, मुझे न तुम

मेरे साई मेरे साई करदे मेरी नैया पार, तोड़ के सारे बंधन अब तो आये हम तेरे दवार, मेरे साई

रख लाज गरीबा दी सारे जग दे सैयां वे, मैं सारा जग छड़ के, संग तेरे लाइयाँ वे, रख लाज