साई की नगरी परम् अति सुंदर
साई की नगरी परम् अति सुंदर जहाँ कोई जान न पावे चाँद सूरज जहाँ पवन न पानी, को सन्देश पहुचावे
साई की नगरी परम् अति सुंदर जहाँ कोई जान न पावे चाँद सूरज जहाँ पवन न पानी, को सन्देश पहुचावे
फुर्सत मिले तो साईं मेरे घर आना दर्शन की प्यास मेरी आके मिटाना मेरी कुटियाँ में आकर के भाग जगाना
पिलादे मुझे साई नाम की मस्ती, ऐसी मैं पीला दे साकी चढ़ा दे सबको मस्ती, पिलादे मुझे साई नाम की
चंदा सूरज साईं मेरा साईं मेरा राम, महादेव साईं बाबा है साईं है घनश्याम, बोलो साईं राम बोलो साईं राम,
पिली पालकी में घर मेरे आया ओ सचा साईं मेरे मालका शिर्डी शहर में मेहरा बरसाईया गाओ वालिया ने खुशियाँ
मेरे साईं सदा तुम दयाल रहना, अपने भक्तो का सदा तुम ख्याल रखना॥ मेरे साईं सदा तुम दयाल रहना, तेरे
मुझे साई नाम का सरूर है , मेरा साई सच्चा हजूर है, मेरे साई ने ऐसा कर्म कियाँ मैंने जो
रे मन चल तू अब तो साईं दवारे, अब तो साईं दवारे मनवा, रे मन चल तू अब तो साईं
साई नाथ तेरी महिमा सारे जग से निराली है, आता जो भी धाम तेरे जाता नहीं खाली है, साई नाथ
मेरे सिर रख दो बाबा अपनी दया का हाथ, देना हो तो दीजये जनम जन्म का साथ, इस जनम में