
भर लो भर लो आंदन के खजाने
भर लो भर लो आंदन के खजाने शनि दर पे मची है लूट रे, जात धर्म के फेर में आकर

भर लो भर लो आंदन के खजाने शनि दर पे मची है लूट रे, जात धर्म के फेर में आकर

हे शनि देवा थामो मेरा हाथ रे देदो अपने भगतो का तुम साथ रे हे शनि देवा थामो मेरा हाथ

तर जायेगे तर जायगे जेहड़े नाम जपन गये तर जायेगे, तर जायेगे तर जायगे शनि नाम जपन गये तर जायेगे,

क्षमा करो मेरी भूल हुई शनि देवा, हम आये तेरे दवार हम करे तेरी पुकार, करे तन मन से तेरी

ये है शनि कथा मेरे बाई ओ मेरे बंधू सुन राजा, करो शनि देव की घर में पूजा तेज परतापी

आज शनिवार है शनि जी का वार है इक वार जो दर्शन करले उसका बेडा पार है, शनि के मंदिर

सारे विकारो से तू मुझको दूर कर दे बाबा, निर्मल रूप दे कर मुझको करदे आबाद रे बाबा, करदे आबाद

करदो करदो माला माल हे श्री शनि रवि के लाल ॥ कलयुग में है शनि बल है अप्रम पार, कुन

आज शनिवार है शनि देवा का वार है, शिंगणा पुर दरबार है सूर्ये पुत्र छाया नंदन करते वेडा पार है,

ॐ जय जय शनि महाराज, स्वामी जय जय शनि महाराज, किरपा करो हम सब पर, दुःख हरियो प्रभु आज, ॐ