मैं तेरे द्वार भोले नाथ फिर से आई हु
मैं तेरे द्वार भोले नाथ फिर से आई हु, तेरे दरबार से ही सब कुछ मैं तो पाई हु, मैं
मैं तेरे द्वार भोले नाथ फिर से आई हु, तेरे दरबार से ही सब कुछ मैं तो पाई हु, मैं
गुज्जरा दे छोरे चले भोले नू मानौंन कावड उठा के कंधे सर नू झुकौन गुज्जरा दे गुज्जरा दे गुज्जरा दे
ला कर गंगा जल शिव भोले को नेहलायेगे, चल कांवड़ियाँ चल भोले की कावड़ लाये गे, कावड़ियों की बन गई
मस्ती में आये रहे भोले जी कैसे हरषाये रहे भोले जी, डमरू भजाये रहे भोले जी नाच दिखाये रहे भोले
भाग तुम हो बहार तुम हो, फूल तुम हो हार तुम हो, जीत तुम हो हार तुम हो, आर तुम
तू गंगा जी न जावन दीता आद्दत से तेरी रोले की, मैं बनी भगतनि भोले की, सास ससुर की सेवा
गोरा रिम झिम पड़े फुहार जे मस्त महीना सावन का, रे जल्दी रगड़े क्यों न भांग के लेगी मूड बनावन
हर घडी आप का ध्यान करता रहु, और करता रहु आप की बंदगी, बस यही कामना है गुरुवार मेरे, आप
बेल पे बैठा झूमे जोगियां पी के भांग का प्याला, दूल्हा बना डमरुआ वाला, दो चार बिशु बदन पे चिपके
कावड़ियाँ जप बम बम शंकर महादेव से कोई न बढ़ कर, बम बम भोले शिव की महिमा गा कर डोले,