कंधे पे कावड़ उठा लीजिये सावन का असली मजा लीजिये
कंधे पे कावड़ उठा लीजिये सावन का असली मजा लीजिये, दो घुट भंगियाँ चढ़ा लीजिये सावन का असली मजा लीजिये
कंधे पे कावड़ उठा लीजिये सावन का असली मजा लीजिये, दो घुट भंगियाँ चढ़ा लीजिये सावन का असली मजा लीजिये
भोले की निकली टोली मिरग शाला कमारियाँ बाँध के, मस्ती में सब ही झूमे लागे लेके डमरू हाथ में, बाबा
शिव है बड़ा मतवाला मेरा शिव है बड़ा मतवाला, मैं फेरु शिव की माला मेरा शिव है बड़ा मतवाला, ना
भोला है मेरा सब से है प्यारा हारे का ये है सहारा, धरती और अम्बर मगन होके गोले है गूंजे
कावड़ ल्याओ पिया चालो ने हरिद्वार को कावड़ उठा के चालु गी मैं कावड़ियों के रेले में, झुमु नाचू गी
भोले बाबा वरदानी भक्तो को भुलाते है, अपने भोले भक्तो की बिगड़ियाँ बनाते है, सोहे ललाट चंदा बेहती है जटा
शहनाइयां भजाओ जी शिव रात आ गई, शिव रात आ गई आ गई शिव रात आ गई, गोरा के द्वार
मेरा भोले बोला भाला सुरतिया है प्यारी, मरती है सुरतिया पर ये दुनिया सारी, उन्ही का है सारा संसार उन्ही
देव महादेव निराले है बड़े भोले बाले, पल में वर देने वाले , देव महादेव निराले है बड़े भोले बाले,
इक छोटी सी कन्या पार्वती शिव शंकर की पूजा करती थी, अपने बाबा की बगइयाँ में जाती थी, डलियाँ भर