मेरा शंकर त्रिपुरारी सारे जग से निराला है
मेरा शंकर त्रिपुरारी सारे जग से निराला है, कैलाश का वासी है वो तो डमरू वाला है, मस्तक सोहे चंदा
मेरा शंकर त्रिपुरारी सारे जग से निराला है, कैलाश का वासी है वो तो डमरू वाला है, मस्तक सोहे चंदा
अपने दिल में वसा लो महादेव को जगा लो दर्शन भी देंगे भोले तुम शिव का ध्यान लगा लो दर्शन
जटा में गंगा डमरू बजाता रेहता वो कैलाश में अंग में भस्म रमाये देखो बैठा वो श्मशान में गले में
ओ डम डम शिवा दा डमरू वज्जदा भोले बाबा दा डमरू वजदा ओ जिथे वजदा बदल वांगु गजदा, ओ डम
गौरा मैया की भोले से सिकात है तेरी भांग अब न घोटी जात है, घोटत घोटत दुखे हाथ भांग घुटावे
होके नंदी सवारी आया भोला भंडारी संग आई गोरा मैया भी भोला का दर्शन पाओ शम्भु का दर्शन पाओ भस्मी
कैलाश के निवासी नमो बार बार हूँ, नमो बार बार हूँ आयो शरण तिहारी भोले तार तार तू, आयो शरण
नाम है तेरा तरण हरा कब तेरा दर्शन होगा जिनकी प्रतिमा इतनी सुंदर वो कितना सुंदर होगा वो कितना सुंदर
पुरब से जब सुरज निकले, सिंदूरी घन छाये पवन के पग में नुपुर बाजे, मयुर मन मेरा गाये मन मेरा
घुट रही भोले तेरी भांग सोने के लोटे में भोले तेरी भांग पीने गनपत जी भी आये गनपत जी भी