दूल्हा दूल्हा बन गए भोला भंडारी
अरे नाग गले में डाले चंदा माथे पे यु सजाये है, बसम बभूति लगा के वो तो नंदी पे बैठे
अरे नाग गले में डाले चंदा माथे पे यु सजाये है, बसम बभूति लगा के वो तो नंदी पे बैठे
डमरूवाला बड़ा दिलवाला डमरू वाला है जग रखवाला, पेहने सर्पो की माला, पीते जेहर का प्याला, ये तो भूतो के
मेरे शिव शंकर जी आये है आज नचना ही पैना, प्रेम रंग बरसाए है आज नचना ही पैना, माँ गोरा
मैया जी मुझे भोले के दरश करा दे भोले के दरश करा दे ओ मैया शंकर जी से मिलवा दे
॥ सार्थशिवताण्डवस्तोत्रम् ॥ ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ जटा टवी गलज्जल प्रवाह पावितस्थले, गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्ग तुङ्ग मालिकाम् । डमड्डमड्डमड्डमन्निनाद वड्डमर्वयं,
लगन निकाले नारद बाबा, देख गौरी के हाथ, गौरी की शादी है, भोले बाबा के साथ, गौरी की शादी है,
हे गौरा तोहरो सजनवा न, तोहरो सजनवा किछुओ ने बुझे से औढर धरनमा न जेकरा नेय कहियो देखलौ जनम भर,
॥ दोहा ॥ जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान । कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥
भोले को कैसे मैं मनाऊं रे, मेरा भोला ना माने भोला ना माने मेरा शंकर न माने भोले को भाये
हो जो नजरें करम आपकी, फिर नहीं डर है संसार की , एक नजर दास पर हो कभी, फिर नहीं