
चलो चलो कावड़ियाँ शिव जी के दरबार
चलो चलो कावड़ियाँ शिव जी के दरबार, काली घटाए जब छाये सवान रिम झिम पड़े बुहार, चलो चलो कावड़ियाँ शिव

चलो चलो कावड़ियाँ शिव जी के दरबार, काली घटाए जब छाये सवान रिम झिम पड़े बुहार, चलो चलो कावड़ियाँ शिव

ओम महाकाल के काल तुम हो प्रभो गुण के आगार सत्यम शिवम सुंदरम। कर में डमरू लसे चंदमा भल पर

भोला सूझी क्या बुढ़ापे में तुझे पिये रहते हा पिये रहते भांग का गोला ओ भोला…… हम से तो अच्छी

गंगा किनारे मंदिर तेरा भूतो का तू स्वामी है सारी दुनिया बोले तुझको बाबा औघड़ दानी है, मरघट के पास

आ जा शिव नाम वाली पी लै भंग भगता, बन शिव दा तू मस्त मलंग भगता, शिव जी दा नाम

इकठे हो गये भगत ने सारे भजे ढोल की शंख नगाड़े, नच्दे भगत भोले दे प्यारे लाउंदे ओह जयकारे, जदो

शिव की रात आई शिव रात आई शिव की रात शिव रात्रि, धरती झूमे अम्बर झूमे झूमे दिन और रात

आये दर्शन को हम भी तुम्हारे तुम ही हो भोले बाबा हमारे, जाके बैठे हो ऊंची पहाड़ियां कितनी सूंदर बनाये

चल चल रे कावड़ियाँ भर भर के गगरियाँ, बाबा रत्नेश्वर के धाम, गंगा जल से नेहलायेगे बन जायेगे बिगड़े काम,

हो तेरी जय हो डमरू वाले, तेरी जय हो डमरू वाले, जग के तुम रखवाले , तेरी जय हो डमरू