भंग का पिए प्याला
भंग का पिए प्याला ओ मीठा माहदेव शंकर गले में है सर्प माला ओह मीठा महादेव शंकर, करते है नंदी
भंग का पिए प्याला ओ मीठा माहदेव शंकर गले में है सर्प माला ओह मीठा महादेव शंकर, करते है नंदी
गले नाग लिपट रहे काले, मैं जीयु कैसे डर डर के ओ मेरे भोले, ये नाग किसी से नही लड़
भजा दे डमरू फिर भजा दे, ओह भोले धमक उठा दे पिके थोड़ी भंग तू आजा मेरे संग तू ठुमका
जटा में गंगा को जिसने बाँध लिया सोने की लंका का रावन को दान दिया हाथो में है तिरशूल है
बोल बम बोल बम बोले जा किस्मत अपनी खोले जा सावन की रुत आई मस्तानी रिम झिम रिमझिम बरसा रहा
मेरे भोले बाबा जटाधारी शम्भू हे नीलकंठ त्रिपुरारी हे शम्भु नंदी की सवारी है गौरा मैया साथ है डोर ये
मोर भंगिया का मनाई दे ओ भेरो नाथ मोर जोगियां का मनाई दे बातमोरी बिगड़ी बनाई दे, मोर भंगिया का
क्यों रूठे सब से यु भोले हमे मन्दिर बुलाये न ये सावन प्यासा रह जाए जो कावड हम ला पाए
जय भोले तेरी शरण मैं आई प्रेम सुधा का प्याला पिया प्रेम की बूटी खाई जय भोले……………. भूतनाथ है रुद्रनाथ
दरश करो शिव जी के करो शुभ दिन जिन्दगी के, दूर करो ग़म जी के मिले सारे सुख धरती के