
शिव चालीसा
॥ दोहा ॥ जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान । कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥

॥ दोहा ॥ जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान । कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥

भोले को कैसे मैं मनाऊं रे, मेरा भोला ना माने भोला ना माने मेरा शंकर न माने भोले को भाये

हो जो नजरें करम आपकी, फिर नहीं डर है संसार की , एक नजर दास पर हो कभी, फिर नहीं

प्राणी लोक मुझे भी ले चल भोले जोगिया, होके नन्द पे सवार जाऊ केलाश पार धरती घुमं दे पापियों के

बम बम भोले जी बाबा बम बम भोले गले में इनके सर्प माला हाथ में है तिरशूल नील कंठ पे

म्हारा मन तरसे भोले मिलने को तरस ते है लॉकडाउन हटा भोले कावड को तरस ते है म्हारा मन तरसे

बम बम बोल के तू तर जाएगा शंकर शम्भु बोल के तू तर जाएगा बम बम बोल के तू तर

मेरे शिव डमरू वाले,हमें चरणों से लगाले पड़ी मझधार में नैया भोले उसे पार लगादे रहे बनके सेवादार हमकांधे पे

क्यों कर रिहा से तू रोले मैं तेरी दासी सु भोले तेरे संग व्याह करवाना से श्री शम्भू नाथ जी

लाये डाक कावड भोले हरिद्वार से, सारे जग में भोले की सरकार से छम छम नाचे कवाडिया बन के भोला