
पंचाकक्षर मंत्र जग में निराला
पंचाकक्षर मंत्र जग में निराला जो भी जपे पाए सुख का प्याला अंतर आत्मा में शिव है समाते मन में

पंचाकक्षर मंत्र जग में निराला जो भी जपे पाए सुख का प्याला अंतर आत्मा में शिव है समाते मन में

भोला भंडारी आया, मोहन तेरी गली में । मोहन तेरी गली में, कान्हा तेरी गली में ।। इक झलक पाने

राजे हिमाचल पारवती दा जदो सी व्याह रचाया पार्वती दे बूहे अगे शिव ने नाद वजाया, गोरा दा देखो लाडा

शिव का रूप सलोना भैरव देता सब सोगाते, दर्शन मात्र से पूरी होती सब की सारी मुरादे शिव का रूप

भोले बाबा कहा छुपे हो सुध क्यों न लेते हो आया शरण जो भोले बाबा वर तुम देते हो नील

जब मोज में भोला आये डमरू हो मगन भ्जाये खोले जटाए छाए घटाए भदरा बरसे जम जम भोले रे भोले

शिव का रूप सलोना भेरव देता सब सोगाते दर्शन मात्र से पूरी होती सब की सारी मुरादे, शिव का रूप

काँधे कावड़ ठाली भोले, मन मैं धर लिया ध्यान तेरा, मेरी मंज़िल ने पार लगाईये, मानूंगा अहसान तेरा, जय भोले

ह्मा चाले विष्णु चाले चाले नंदी साथ मैं, मनै भी जाणा सै भोले मनै ले चल तेरी बरात मैं, भूत

शिव शंकर का भजन थोड़ा करले, प्रभु से मिलन का जतन थोड़ा करले, शिव के चरण बिन कहाँ है ठिकाना,