कभी शिवजी के मंदिर गया ही नहीं
कभी शिवजी के मंदिर गया ही नहीं, शिव भक्त कहाने से क्या फायदा, शिव का ध्यान कभी भी लगाया नहीं,
कभी शिवजी के मंदिर गया ही नहीं, शिव भक्त कहाने से क्या फायदा, शिव का ध्यान कभी भी लगाया नहीं,
शिव शंकर तुम्हरी जटाओ से गंगा की धारा बहती है, सारी श्रिस्टी इस लिए तुम्हे गंगा धारी शिव कहती है,
तर्ज – हमदम मेरे मान भी जाओ…. बड़ा ही पावन , है मन भावन श्रावण का सोमवार है, कालो के
डम डम डमरू भाजे शंकर जी कैलाश विराजे, संग में अम्ब भवानी नाचे, ॐ नमः शिवाये, बड़े भोले है अपने
भोला दानी रे भोला दानी, भोला दानी भोला दानी भोला निराला, पिये सदा भंगिया का प्याला, काले काले रे काले
ये भी भोले तू भी भोला, तू ही इनका यार भोले, क्यों माटी में मिला दिए फौजी और जिमिदार भोले.
वग दी आ गंगा देखो जिहदिया जटावा विच, आसान है जिहदा बरफलियां गुफावा विच, हाथ त्रिशूल गल नागा दा फब
बिन तेरे ना रह पाए दर छोड़ के कहा जाए, तेरी दया से ही भोले हर काम बनेगे, तू रूठा
काशी पति सदाशिव कैलाश के बसैया, ओ विश्वनाथ बाबा तुम तो तन में भसम रमैया, गल कालिया विराजे नर मुंडनों
ओ भोले भंडारी हमारे घर आ जइयो, अखियाँ तरसे हमारी के दर्श दिखा जियो, बहुत दिनों से आस लगाईं पर