
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया
भोले बाबा ने यु ही बजाया डमरू, सारा केलाश पर्वत मगन हो गया, यहाँ ब्रह्मा चले वहा विष्णु चले, माँ

भोले बाबा ने यु ही बजाया डमरू, सारा केलाश पर्वत मगन हो गया, यहाँ ब्रह्मा चले वहा विष्णु चले, माँ

भस्म बबूती लगा के करुणा में कुछ दिखाओ, भोले की शरण में हो जम कर ढोल बजाओ, ओहरदानी की किरपा

ऐसी लगन लगा दे बाबा मैं तेरा बन जाऊ, इस दुनिया को भूल के बाबा मैं तेरे गुण गाउ, ये

तुम आना भोले बाबा मेरे माकन में, दम दम डमरू बाजे सारे यहान में, डमरू की दम दम सुन के

जय शिव शंकर जय भोले नाथ, अज शिव रात है जी आई शिव रात ॐ नमः शिवाय ॐ नमो शिवाये

जय हो बाबा अमरनाथ जय हो अमरनाथ बर्फानी, भूखे को भोजन देते है और प्यासे को पानी, उच्चे उच्चे पर्वत

भंगिया में डूब गए हो सुध विसराओ भोला जी, मैं थक गई भंगियाँ पीसत हाथ दुखायो भोला जी भंगिया में

भोले का डमरू बोले बोल बम बम बम ओमकारा, रटती जो हर हर बहती धरा पर माँ गंगा की धारा

मेरे दिल के करो अरमान मेरे भोले जी सारी दुनिया करे गुणगान मेरे भोले जी तीनो लोको के स्वामी तुम

धाम काशी में आज हम जाए जाके गंगा में डुबकी लगाये, विशव के नाथ को धाये हर दम, देव दीपावली