भोले दा डमरू
मेरे भोले शिवा दा डमरू किथे वजेया, लेहरा बेहरा हो गईयाँ, जिथे जिथे वजियाँ, मेरे भोले शिवा दा डमरू किथे
मेरे भोले शिवा दा डमरू किथे वजेया, लेहरा बेहरा हो गईयाँ, जिथे जिथे वजियाँ, मेरे भोले शिवा दा डमरू किथे
भोले बाबा की सवारी बडी शान से चले महादेव त्रिपुरारी बड़े शान से चले अरे ढोल नगाड़े संग साथ में
अरे रे रे जब खाए भांग के लड्डू सावन में चड गया जादू, ये भोले मस्ती में झूले जब कावड
धुन- भगत के वश में है भगवान जगत के सर पर जिनका हाथ, वहीं है अपने भोले नाथ ll *जिन
रे गोरा रिम झूम पड़े फुहार यो मस्त महीना सावन का, रे जल्दी रगड़े क्यों न भांग खिलेगी मूड बनावन
दिल नु मोह लेनदा मनमोहना बसमा लाके होर भी सोहना, रूप सुहाना लगे भोले शंकर दा, डम डम डमरू वाजे
देवो के हो देव भोले शिव शंकर महादेव दर्शन दो भोले शिव शंकर देवो के हो देव भोले शिव शंकर
नाग बिराजे गले में जिनके सर पे गंगा सवार, रूप दिगंबर का धरे जग के पालनहार। चार वेद और छे
राम का मंदिर बन दो शिव जी आके अवध नगरियां, बम बम बोल रहे है कावड़िया, जितने भी है राम
आशुतोष सशाँक शेखर चन्द्र मौली चिदंबरा, कोटि कोटि प्रणाम शम्भू कोटि नमन दिगम्बरा, निर्विकार ओमकार अविनाशी तुम्ही देवाधि देव ,