
भोला अखिया ना खोले
कैसी समाधी लगाई रे भोला अखिया ना खोले अखिया ना खोले भोला अखिया ना खोले गंगा भी बोले यमुना बोले

कैसी समाधी लगाई रे भोला अखिया ना खोले अखिया ना खोले भोला अखिया ना खोले गंगा भी बोले यमुना बोले

शिव रात्रि दी आई सोहनी रात की बम बम भोले बोलदे रहिये, बैठे शिव गुण गाउंदे , तेरे भक्त ने

ओ सुनो न प्राथना मेरी हे भोले दर्श दिखला दो, भटकते है पुरखे है मेरे हे भोले पार लग वा

सारी दुनिया में भजता मेरे भोले का डंका, वो बैठे बिठाए ध्यान करे अपने भगतो का तू तीनो का त्रिपुरारी

शिव शंकर दे रंग निराले, ताहियो शिव नु पूजन सारे, पे के भांग प्याले सारे भंग ऐसा कुछ कर गई,

तेरी ब्यूटी में है दम, बम बम बम , तेरी बूटी में है दम भोले बम बम बम बम भोले

क्यू खड़ी खड़ी तू हालै रे गौरा चाल कसुती चालै आज कर के चोटी ढीली भोले भंग मन्ने भी पि

भोले दिल मस्तानी का डोले, जब रूठ गये शिव शम्भु जा कैलाश पे गाड़े तम्भु, दो बच्चो संग पार्वती को

स्वामी मैं हां दासी भोले ओ मिंजो मेहल बनाई दे, गोरा ते मेरी है आसा सन्यासी बलिये कजो मेहल बानइये

भोले का लग रहा से मेला, ये धाम बड़ा से अलबेला, चल गोरी कावड़ लावे गे शिव गोरा को साथ