हये रे भोले तेरी भांग ने पी के तेरे कावड़ियाँ मटके
हरियाणा से आये कावड़िया रे कंधे में कावड़ लटके, हये रे भोले तेरी भांग ने पी के तेरे कावड़ियाँ मटके,
हरियाणा से आये कावड़िया रे कंधे में कावड़ लटके, हये रे भोले तेरी भांग ने पी के तेरे कावड़ियाँ मटके,
मनोकामना मंदिर में हो रही जय जयकार, सवा कविण्टल चाँदी का शिवलिंग बना है पहली बार, आज भोले का डमरू
त्रिलोक के स्वामी भोले के द्वार पे जायेंगे काँधे पर लेकर कावर हम शिव शम्भू को जल चढ़ाएंगे देवादि देव
भोले जी तेरा दिल है तोड़ेंगे तेरे बच्चे तेरे लिए दिन रात दौड़ेंगे दिल्ली से पैदल चलकर हरिद्वार के रस्ते
लगाया हरिद्वार मेला चढ़ा रंग गंगा नहाने का, अरे कावड़ लेने चला दमा दम जट हरयाणे का , लगाया हरिद्वार
जटाधारी बनके त्रिपुरारी बनके चले आना, भोले चले आना, चले आना… तुम ओघड रूप में आना, भूत साथ लेके मुंड
दुनिया जाने शिवलिंग छुपाये बैठे हो मक्का मदीने में, मके में ही जल चड़ाउ गा अब की सावन के पावन
मैं जाऊ मेला में हरिद्वार नाथ तू भंग गोटन की ना कहा, माहरे जोगी वाले ठाठ करेगी क्या मेला में
आयो हरिद्वार को स्टेशन भरी कावड़ियों से रेल, कावड़िया बने खिलाड़ी भोले संग लायो मेल, कोई हरी की पौड़ी न्हावे
महाकाल की दिव्ये धारा पर पावन सावन छाया, कावड़ियों का रंग गेरहुआ केसर सा बिखराया, रिमझिम बुहार बम बम बुहार