
मेरे महांकाल आये है
मेरे शम्भू मेरे भोला मेरे महांकाल आये है सजी उज्जैन की नगरी मेरे महाराज आये है आये है भोला भंडारी

मेरे शम्भू मेरे भोला मेरे महांकाल आये है सजी उज्जैन की नगरी मेरे महाराज आये है आये है भोला भंडारी

हारा दी था साँप लम्काए, भुक सुआ दे तन ते पाए सिर ते जरावा रंगवी लीला,नाले चिता दाढ़हा गल्लां हुंदिया

मन में शरधा जगाओ गोरख नाथ दर्श दिखलायेगे, घर प्रेम से उन्हें भुलायो खुद चल के ही आ जायेगे, मन

बम बम भोले शिव शिव शिव भोले बम बम लेहरी रे अगड बम लेहरी रे भोले तू कैलाश के वासी

सुनले सुनले मेरे भोले बाबा, बंदा तेरा लाचार ओ शम्भू कैसे औ तेरे द्वार, ओ शम्भू कैसे करू तेरे दीदार,

सुन ले ओ भोले विनती हमारी भकत पुकारे आज, कैलाश पर्वत में धुनि रमाये बैठे है भोले नाथ. कैलाश पर्वत

जिसका काँधे कावड़ लाऊ मैं आप के लिये, वो कन्धा काम आ जाए माँ और बाप के लिये, जब कंधे

हे भोले बाबा मुझको देना सहारा, कही छुट जाये न दामन तुम्हारा, तेरे नाम का गान गाती रहू मैं, सुबह

छोड़ के मस्ती वो पर्वत पे रहे लगा कर आसान है, फिर भी तीनो लोक में चलता शिव भोले का

उँचे उँचे पर्वतो पे रहने वाले ओ भोले तुमसे बड़ी है आस शिव शंकर भोले भोला है डमरू वाला नाम