
लगाया हरिद्वार मेला चढ़ा रंग गंगा नहाने का
लगाया हरिद्वार मेला चढ़ा रंग गंगा नहाने का, अरे कावड़ लेने चला दमा दम जट हरयाणे का , लगाया हरिद्वार
लगाया हरिद्वार मेला चढ़ा रंग गंगा नहाने का, अरे कावड़ लेने चला दमा दम जट हरयाणे का , लगाया हरिद्वार
जटाधारी बनके त्रिपुरारी बनके चले आना, भोले चले आना, चले आना… तुम ओघड रूप में आना, भूत साथ लेके मुंड
दुनिया जाने शिवलिंग छुपाये बैठे हो मक्का मदीने में, मके में ही जल चड़ाउ गा अब की सावन के पावन
मैं जाऊ मेला में हरिद्वार नाथ तू भंग गोटन की ना कहा, माहरे जोगी वाले ठाठ करेगी क्या मेला में
आयो हरिद्वार को स्टेशन भरी कावड़ियों से रेल, कावड़िया बने खिलाड़ी भोले संग लायो मेल, कोई हरी की पौड़ी न्हावे
महाकाल की दिव्ये धारा पर पावन सावन छाया, कावड़ियों का रंग गेरहुआ केसर सा बिखराया, रिमझिम बुहार बम बम बुहार
भोले भोले हो रही शिव भोले भोले, यही मंत्र है सब से बड़ा बम बम योगी बोले, भोले भोले हो
भंगियाँ जरा पीस दो ओ गोरा रानी, नसेड़ी बनाना छोड़ दो ओह भोले वरदानी आज बड़ी मुश्किल से लाया हु
कैलाशी बम भोला नाचे डमरू भाजे हा हा भाजे डम डम डम, भंडारी शिव भोला नाचे ,डमरू भाजे हा हा
जय जय भोला भंडारी जय जय भोला भंडारी, भंग पी के मस्ती में नाचे भोला भंडारी, पार न पाया कोई