प्यारो घणो लागे जी नारायण
प्यारो घणो लागे जी नारायण थांको मालासेरी दरबार, मंदिरिया के आजु बाजू सरोवर भरिया हजार, ऊँची ऊँची लहरें चाले ,ठण्डी
प्यारो घणो लागे जी नारायण थांको मालासेरी दरबार, मंदिरिया के आजु बाजू सरोवर भरिया हजार, ऊँची ऊँची लहरें चाले ,ठण्डी
हे परमेश्वर दीन दयालु,भीख दया की दे देना, डोल रही है बीच भँवर मेरी,नैया पार लगा देना, जब कष्ट पङे
नारायण नारायण नारायण, भजले घडी दो घड़ी नायरण, ये नाम बड़ा अनमोल बड़े मीठे इसके बोल, नारायण नारायण नारायण…. ये
आज खुशी ना मन मैं समावै, म्हारो मन डो नाचै गावै, दुखां री काली छाया म्हारे घर सु हटा दी
हरी नाम की माला जप ले “पल की खबर नही,,ओ, अन्तरघट मन को मथ ले, “पल की खबर नही,,ओ, हरी
देवताओं की करून पुकार एवं ब्रह्मा जी द्वारा प्रभु स्तुति : जय जय सुरनायक जन सुखदायक प्रनतपाल भगवंता। गो द्विज
नाम हरी का जप ले बन्दे फिर पीछे पछतायेगा तू कहता है मेरी काया काया का घुमान क्या, चाँद सा
धन तो धणी छ रे धन भाग रे, श्री म्हारा अब तो आजो जी म्हारे पावणा, घर का तो रूसिया
धुन- परदेसियों से न अख्खियाँ भजले हरी को, एक दिन तो है जाना ll, जीवन को यदि, सफल बनाना, भज
मात-पिता सुत नारी,ओर इस झूठी दुनिया दारी को छोङ कर के एक जाना,होगा की नही क्यो भूले जीवन के राही,दूर