
ॐ जय जगदीश हरे
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे । भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे । भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर
कमलाकांत प्रभु कमलनयन स्वामी, घट घट वासी अंतर्यामी । नारायण दीनदयाल, जय जगदीश हरे । निज भक्तन के प्रतिपाल, जय
रोम रोम मैं ॐ ॐ हैं सांस सांस हरी बोल हरी बोल हरी बोल हरी हरी हरी, हरी हरी हरी,
कहने में कुछ भी कहे,मगर मन मे जानते, बाहर से अनजान है पर,दिल से पहचानते, भटका हुआ राही हूँ में,मंजिल
ॐ जय लक्ष्मी रमना, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा सत्य नारायण स्वामी, जन पातक हरणा, ॐ जय लक्ष्मी रमना… रतन जड़ित
हरी आ जाओ, इक्क वार, हरी आ जाओ, इक्क वार ll हरी आ जाओ, इक्क वार, हरी आ जाओ, इक्क
अच्युतम केशवं राम नारायणं, कृष्ण दमोधराम वासुदेवं हरिं, श्रीधरं माधवं गोपिका वल्लभं, जानकी नायकं रामचंद्रम भजे। अच्युतम केसवं सत्य भामधावं,
प्रभु जी सबके सिरजन हार तेरे बिना अब कोई नही है,जग का पालन हार जग की प्रीती अज़ब निराली,जाने जानन
जय जय नारायण नारायण हरि हरि, स्वामी नारायण नारायण हरि हरि। तेरी लीला सब से न्यारी न्यारी हरि हरि, तेरी
हर रूप रंग में ढंग में तूँ नहरों नदियों में तरंग में तूँ, है परम् पिता जगदीश हरे प्रभु प्रेम