
कर न फकीरी फिर क्या दिलगिरी
करना फकीरी फिर क्या दिलगिरी सदा मगन में रेहना जी कोई दिन हाथी ने कोई दिन घोड़ा कोई दिन पैदल
करना फकीरी फिर क्या दिलगिरी सदा मगन में रेहना जी कोई दिन हाथी ने कोई दिन घोड़ा कोई दिन पैदल
जगदीश ज्ञानदाता सुख-मूल, शोक-हारी, भगवान तुम सदा हो निष्पक्ष न्यायकारी, सब काल सर्वज्ञाता सविता पिता विधाता, सबमें रमे हुए हो
बंगला खूब बना गुलजार इस में नारायण बोले इस में नारायण बोले इस में नारायाण डोले बंगला खूब बना
बाबा आँगन पधारो , दरबार सजायो थारो , करूँ विनती मैं बारम्बार, म्हाने दर्शन दयो एक बार. . . .
एक भक्त की भक्ति ने देखो, पृथ्वी पर स्वर्ग उतार लिया । भगवान वो ही करते हैं यहाँ, जो मन
श्रद्धा रखो जगत के लोगो, अपने दीनानाथ में। लाभ हानि जीवन और मृत्यु, सब कुछ उस के हाथ में॥ मारने
श्रीमन नारायण नारायण नारायण लख चौरासी, भोग के तूने, यह मानव तन पाया ll रहा भटकता, माया में तूने, कभी
।।दोहा।। श्री विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय । कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ॥ ।।चौपाई।। नमो विष्णु
जिनके हाथों में सुदर्शन चक्र रहे, जिनके अधरों पे मुस्कान बिखरी रहे वो हैं मन भावन श्री मन नारायण,नारायण भक्तों
श्रीमन नारायण नारायण नारायण लख चौरासी घूम के तूने ये मानव तन पाया, रहा भटकता माया में तूने कभी न