मिनख जमारो मिल्यो जग माही
मिनख जमारो मिल्यो जग मांही,ओर भळे कांई चावे तूं, लख चोरासी भटकत-भटकत,जूण अनेको भुगत्यो तूं, मानव तन अनमोल रतन धन,विरथा
मिनख जमारो मिल्यो जग मांही,ओर भळे कांई चावे तूं, लख चोरासी भटकत-भटकत,जूण अनेको भुगत्यो तूं, मानव तन अनमोल रतन धन,विरथा
भजदे ढोल ते छेने सुगना दे वीर दे, की कहने की कहने मेरे रामा पीर दे, धरती नचे अम्बर नचे
थारो जनम सफल कर लीजो रे, सतसंग मे सत संगत मे सतगुरू आवे,धर्म कर्म की बात बतावे हिरदे धारण कर
श्री मन नारायण नारायण हरि हरि तेरी लीला सबसे नयारी नयारी हरि हरि भज मन नारायण नारायण हरि हरि जय
जो भजे हरि को सदा, सोही परम पद पावेगा | देह के माला, तिलक और छाप, नहीं किस काम के,
सुन ल्यो अर्जा म्हारी॥ ध्जाबन्द धारी मैं तो आयो हूँ शरण मैं थारी,ध्जाबन्द धारी उजड़ गया नै बाबा ,अब थे
माझे माहेर पंढरी, आहे भिवरेच्या तीरी | बाप आणि आई, माझी विठठल रखुमाई | पुंडलीक राहे बंधू, त्याची ख्याती काय
गन्दला दा साग रोटी मक्की दी बनाई आ, खा लै ठाकरा वे ऐनी देर क्यों लगाई आ मखनी दा पेडा
हे गोविन्द हे गोपाल अब तो जीवन हारे । अब तो जीवन हारे प्रभु शरण है तिहारे… हे गोविंद ॥