
तुम सों को प्रियतम या जग में
तुम सों को प्रियतम या जग में।तुम प्रान बने उर में मोरे तुम रुधिर दास के रग रग में।।तुम्हरी करुणा

तुम सों को प्रियतम या जग में।तुम प्रान बने उर में मोरे तुम रुधिर दास के रग रग में।।तुम्हरी करुणा

नियंत्रण में रखो, जग पालक भगवान।विनती कर जोड़ करे, आप बढ़े बलवान।। दया कृपा करुणा करो, मेरे दीन दयाल।पीड़ा करना

श्रीनारायण दशावतार स्तोत्र दुःख- दरिद्र, रोग- व्याधि, कर्ज मुक्ति गृह क्लेश, पितृ बाधा, वास्तु दोष सब होगा दूर रोज पढ़ें-

पुरुषोत्तम कवचम्, जो शाण्डिल्य संहिता के भक्ति खण्ड में वर्णित है। यह कवच भगवान श्रीकृष्ण (पुरुषोत्तम नारायण) की सर्वांग रक्षा,

श्रीनिवासन जगन्नाथ श्रीहरे भक्तवत्सल।लक्ष्मीपते नमस्तुभ्यं त्राहि मां भवसागरात्।।१।। राधारमण गोविन्द भक्तकामप्रपूरक।नारायण नमस्तुभ्यं त्राहि मां भवसागरात्।।२।। दामोदर महोदर सर्वपत्तिनिवारण।ऋषे नमस्तुभ्यं त्राहि

नित्य स्मरण मात्र से ही दुःस्वप्न नाश हो जाएगा। ये सभी सिद्धिया देनेवाला स्तोत्र है जिससे दुःस्वप्न नाशन, वाकसिद्धि, सिद्धिप्राप्ति

घोररूपे महारावे सर्वशत्रुभयङ्करि।भक्तेभ्यो वरदे देवि त्राहि मां शरणागतम्।।१।। ॐ सुरासुरार्चिते देवि सिद्धगन्धर्वसेविते।जाड्यपापहरे देवि त्राहि मां शरणागतम्।।२।। जटाजूटसमायुक्ते लोलजिह्वान्तकारिणि।द्रुतबुद्धिकरे देवि त्राहि
नमो देव्यै महादेव्यै सुरभ्यै च नमो नमः।गवां बीज स्वरूपायै नमस्ते जगदम्बिके।।१।। नमो राधा प्रियायै च पद्मांशायै नमो नमः।नमः कृष्ण प्रियायै

लक्ष्मी मां श्रीवान बना दो,निर्धन हूं धनवान बना दोजग में अब सम्मान दिला दोविष्णु जी के दरस करा दोतेरी शरण

मेरा छोटा सा संसार,हरि आ जाओ एक बार। हरि आ जाओ, प्रभु आ जाओ, मेरी नईया, पार लगा जाओ मेरी