

माँ का दिल जो कभी न दुखाये गा तू , दो दुआ सब पायेगा तू सांचे में तन के ढाला

साडू मां का जाया, भक्ता के मनडे भाया, मालासेरी डूंगरी सु, देव देमली आया, सखिया मंगल गाया, फूला सा देव

कायर सके ना झेल फकीरी अलबेला रो खेल, अरे क़ायर सके ना झेल फ़कीरी अलबेला रो खेल, ज्यूँ रण माँय

चलो मन गंगा यमुना तीर गंगा यमुना निर्मल पानी शीतल होत शरीर, चलो मन गंगा यमुना तीर बंसी बजावत गावत

हे मनमोहनियाँ लख दाता साहनु कदो भुलावे गा, तेरा पीर निगाहें डेरा साहनु कदो भुलावे गा, साहनु कदो भुलावे गा

मेरे दाता के दरबार में, सब लोगो का खाता, जो कोई जैसी करनी करता, वैसा ही फल पाता, क्या साधू

मरुधर में ज्योत जगाय गयो, बाबो धोली ध्वजा फहराय गयो, म्हारो साँवरियो बनवारी, बण्यो पचरंग पेचाधारी, भक्ता रे कारण, अजमल

वेद शास्त्र ढुंढ लिए एक ओम बराबर ना कौन्या श्रवण जैसा पुत जगत में कोशल्या सी मां कौन्या कोन्या ताल

प्यार की राह में चलना सीख, इश्क़ की आग में जलना सीख मैं तुझसे दिल की बात कह तो दूँ,

साहेब तमारी साहेबी,सब घट रही समाय, जो मेहंदी के पाथ में, लाली लखी ना जाए। लाली मेरे लाल की, जीत