दस केहड़ा रूप तेरे लई
दस केहड़ा रूप तेरे लई सजावा के खुश रहे तू सजना, तेरे वास्ते मैं कंजरी कहावा के खुश रहे तू
दस केहड़ा रूप तेरे लई सजावा के खुश रहे तू सजना, तेरे वास्ते मैं कंजरी कहावा के खुश रहे तू
अग्रसेन के वंशज हैं हम, आगे बढ़ते जाएंगे अग्रवंश की सेवा में हम मिलकर हाँथ बढ़ाएंगे जय जय अग्रसेन महाराज,जय
जिंदगी तो प्यार में डूबा अनुपम गीत है प्रेम की धुन पर सजाया इक मधुर संगीत है जो मिले स्वीकार
चार वेध के शास्त्र देख लो ॐ सरेखा नाम नही सरवन जैसा नही रे सेवक कौसल्या शी माता नहीं सीता
दोहा : कौन होता है कब किसी का, दम निकल जाने के बाद खाक रह जाती है
अमृत वेला जिन्दे नि उठ के, नाम दी माला फेर, वाहेगुरु वाहेगुरु जप लै नि तू सतनाम दी माला फेर,
बल्ले बल्ले जांड्डा वाला पुत्त वंद दा जोड़े लडडुआ दे देख लो चढ़ा के, जांड्डा वाला पुत्त वंद दा बल्ले
युगो युगो से चलता आया प्रेम का ये बंधन, भाई बहिन का रिश्ता जग में सब से है पावन, रक्शा
ये मत कहो खुदा से मेरी मुश्किलें बड़ी हैं इन मुश्किलों से कह दो मेरा खुदा बड़ा है आती हैं
को माता को पिता हमारे कब जनमत हमको तुम देख्यो, हँसी लगत सुन बैन तुम्हारे कब माखन चोरी कर खायो,