रे मन भज ले तू हरि नाम
रे मन भज ले तू हरि नाम॥ तेरे बन जाएंगे बिगड़े काम मन के भरम में उलझा रहा तूँ प्रभु
रे मन भज ले तू हरि नाम॥ तेरे बन जाएंगे बिगड़े काम मन के भरम में उलझा रहा तूँ प्रभु
दया करो दया करो हे ईश्वर दया करो सबके मन में द्वेष समय अज्ञान ने कदम बढ़ाया धरती माँ व्याकुल
बेटीयां बोझ होती नहीं,याद आती हैं ये विदा होने के बाद, बेटे के मोह में ना भुलाना इन्हें,याद आती हैं
काहारो डोली ना चाऐयो, हजे मेरा बाबुल आया नहीं, जेड़ा औने सुट भेजेया सी हजे तक मैं हंडाया नहीं, विर
आरती अतिपावन पुराण की, धर्म भक्ति विज्ञान खान की, महापुराण भागवत निर्मल, शुक-मुख-विगलित निगम-कल्प-फल, परमानन्द-सुधा रसमय फल, लीला रति रस
नर तन फेर ना मिलेगो रे, बांधे क्यों गठड़िया प्राणी पाप की, बड़े भाग मानुष तन पायो भटक भटक चौरासी,
आज को सूरज डोडो उगयो जुझार जी, थांकी सुरता पर आयो , तावड़ो जुझार जी, म्हारा सुसरा जी के नो
भगवान भगवान भगवान भगवान ओ दुनिया के रखवाले, सुन दर्द भरे मेरे नाले, आश निराश के दो रंगों से, दुनिया
लख लख दिवला री है आरती आ पाबूजी रे धाम, जग मग जोता है जागती ऐ राठौड़ो रे धाम, रमती
बेटे का सम्मान है जग में बेटी का कोई मान नहीं, दुनिया वालो मुझको बता दो बेटी क्या संतान नही,