
मात भवानी विनती करती हूँ
मात भवानी विनती करती हूँ सजा हुआ उद्याननया वर्ष नवरात्रि आगमनमाता से विनती करती,ऐसा भारत बने हमारामन में यह इच्छा
मात भवानी विनती करती हूँ सजा हुआ उद्याननया वर्ष नवरात्रि आगमनमाता से विनती करती,ऐसा भारत बने हमारामन में यह इच्छा
प्रथम महीना चैत से गिनोराम जनम का जिसमें दिन।। द्वितीय माह आया वैशाख।वैसाखी पंचनद की साख।। ज्येष्ठ मास को जान
प्रभु अपने दर से, अब तो ना टालो,गिरा जा रहा हूँ, उठा लो उठा लो….. खाली ना जाता कोई दर
जय जय सुरनायक जन सुखदायक प्रनतपाल भगवंता।गो द्विज हितकारी जय असुरारी सिंधुसुता प्रिय कंता।। पालन सुर धरनी अद्भुत करनी मरम
ॐ स्थिराय नमः।ॐ स्थाणवे नमः।ॐ प्रभवे नमः।ॐ भीमाय नमः।ॐ प्रवराय नमः।ॐ वरदाय नमः।ॐ वराय नमः।ॐ सर्वात्मने नमः।ॐ सर्वविख्याताय नमः।ॐ सर्वस्मै
ऐ मेरे स्वामी अंतरयामी नित जपते तेरा नामतेरे भरोसे छोड़ दी नैया तू जाने तेरा कामऐ मेरे स्वामी अंतरयामी जीवन
मेरो मन वृन्दावन में अटको, मेरो मन हरि चरणन में अटको।मेरो मन वृंदावन में अटको, मेरो मन हरि चरणन में
नजर में रहते हो मगर तुम नजर नहीं आते,ये दिल बुलाये श्याम तुम्हे पर तुम नहीं आते,नजर में रहते हो
ऐसी लगन तू लगा दे मुझे ऐसी लगन तू लगा दे, मैं तेरे बिना पल ना रहूं,मन में प्रेम वाला
मेरो मन वृन्दावन में अटको, मेरो मन हरि चरणन में अटको।मेरो मन वृंदावन में अटको, मेरो मन हरि चरणन में