नीली छत के पिछे बैठा जाने कौन मदारी
नीली छत के पीछे बैठा जाने कौन मदारी जैसे जैसे नाच नचाए नाचे दुनियाँ सारी नीली छत के पीछे बैठा
नीली छत के पीछे बैठा जाने कौन मदारी जैसे जैसे नाच नचाए नाचे दुनियाँ सारी नीली छत के पीछे बैठा
दोहा श्री संकट हरन मंगल करन कृपालु । करहु दया निज दास पे निशिदिन दीनदयालु ॥ जय डमरूधर नयन विशाला
तर्ज – तेरे जैसा यार कहाँ…. बाबोसा का द्वार जहाँ , वहाँ मेरा आशियाना मुझे दरबार मिला ,करू तेरा शुकराना
साधो भाई सत्संग उत्तम गंगा, पाप ताप संताप मिटावे,झण्डा लहरावे तिरंगा, सत्संग तो संता की कोर्ट ,चले ज्ञान प्रसंगा, सतगुरु
तर्ज – जब कोई बात बिगड़ जाये… जहाँ बाबोसा का बसेरा वहाँ सुखों का होता सवेरा इनकी शरण
मीणा भाई रम जा रात अंधारी, काला कामला की गांति मार ले ,कमरिया में भंवर कटारी, आरड़े पारड़े करसा सुता
ॐ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु जय श्री विश्वकर्मा सकल सृष्टी मे विधि को श्रुति उपदेश दिया, जीव मात्र का जग
उड़ जाएगा हंस अकेला, जग दर्शन का मैला छुटेंगे महल अटारी, छूटेगी दुनियादारी कुटुंब कबीला छुटे-छुटे, बचपन दिन संग खेला
एक तू ही मेरा आगरे सहारा रुणीजा वाले लाज रखना मैंने सब कुछ तुझको ही माना, रुणीजा वाले लाज रखना
दुःख भी मानव की संपत्ति है तू क्यों दुःख से गबराता है, सुख आया है तो जायेगा,दुःख आया है तो