
जिन्हे कोख में मारते हो
जिन्हे कोख में मारते हो वो ही बेटियां देवियां है, है सीता कोई तो कोई राधा, है लक्ष्मी कोई शरधा

जिन्हे कोख में मारते हो वो ही बेटियां देवियां है, है सीता कोई तो कोई राधा, है लक्ष्मी कोई शरधा

सत्संगत में रोज ही जाना रहना अपनी धुन में, साधु भाई गांजा पियो गुरु संग में, चित चेतन की चिलम

जोगियां जोगियां रे हे मेरे जोगिया, यु न बड़ा दूरिया,भक्ता के तू नजदीकियां रे, हे विद्याता मेरे तुम हो दाता

हरे राम, राम राम, हरे कृष्णा, कृष्णा कृष्णा हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे । हरे कृष्णा हरे

है अभी वक़्त कर याद भगवान को, तेरा बिगड़ा मुकदर सवर जायेगा, काम आयेगी तेरी वो परलोक में, जो भी

मेरो मन अनत कहाँ सुख पावे जैसे उड़ी जहाज को पंछी,पुनि जहाज पे आवे मेरो मन अनत कहाँ..अनत कहाँ सुख

रब दी रूह दे नो दरवाजे दसवा गुप्त बनाया, उस गली दी सार न मैं जाना जिथे यार समाया, मैं

जन्म लियो जाने मरणो पड़सी मौत नगारो सिर फूटे ओ, लाख उपाय करों मन कितना बिना रे भजन नहीं छूटेओ

होक रह सैयां दा होक रह मस्त दा, तू रह सैयां दा तू रह मस्ता दा, तू रह सैयां दा

मत इतराओ मन वनवारे के इक दिन सब मिट जाना है, आये जिस दिन प्रभु की पुकार हमे जग छोड़