मन मस्त हुआ फिर
मन मस्त हुआ फिर क्या बोले, क्या बोले फिर क्योँ बोले, हीरा पाया बांध गठरिया, हे बार बार वाको क्यों
मन मस्त हुआ फिर क्या बोले, क्या बोले फिर क्योँ बोले, हीरा पाया बांध गठरिया, हे बार बार वाको क्यों
दया करो हे नाथ जगत पे कैसी विपता आई, सारी दुनिया तर्स्त है जिस से जनता है गबराई, जगत के
बालपना में रामदेवजी हटकिलो अतीबारी, कैइसो हटकिलो रे बालक सोच रही माँ कारी, की कर मैं इने समझाउ आगी रे
चुंबळ मोत्याची डोक्यावर पान्या चा घड़ा माठ फोडिला ग माझा माठ फोडिला पहिल्या दिवशी मी ग बाई घेउन गेले ताट
आया बुढ़ापा बन्दिया वे मूड आनी ना जवानी, चिठिया वी पाइयाँ बन्दिया वो तारा वी भेजिए, फिर भी सुन बन्दिया
सारी उम्र तुम्हारी कमी खले गी माँ, जब दूंगा आवाज तू संग चले गी माँ, मेरी माँ मेरी माँ तेरे
श्री विष्णु अवतारी नमो नमः ध्वजाबंद धारी नमो नमः रुणिचा वासी नमो नमः श्री राम देवाय नमोस्तुते श्री विष्णु अवतारी
जबान जैसी मीठी जगत में जबान जेसी मीठी जगत में जबान जैसी खारी क्या है पैसे का खेल जगत में
कैसे चुकाऊ तेरी सांसो की मोल रै, जनम देने वाली इतना तू बोल रे, कैसे चुकाऊ तेरी सांसो की मोल
पंक्षी वांगु उड़ जाना है इक दिन मार उडारी, कदर ओहना दी पेनी ओथे अमल जिह्ना दे भारी, हर शह