
चाओ वीरो सती दादी भजन | बग्गड़ नगरी प्यारी
बग्गड़ नगरी प्यारी,जहां दादी का दरबार, दर्शन करले प्राणी,जीवन मिले ना बारम्बार | सूरज की किरणे तेरी ज्योति जगाये, चन्दा

बग्गड़ नगरी प्यारी,जहां दादी का दरबार, दर्शन करले प्राणी,जीवन मिले ना बारम्बार | सूरज की किरणे तेरी ज्योति जगाये, चन्दा

बेटी तो वो चिड़िया जिसे इक दिन उड़ ही जाना है लेकर केवल दाना पानी गाती मधुर तराना है पंख

रुनिचे वाला खम्मा खम्मा ओ थाने मोकळी अजमल जी रा लाला,खम्मा खम्मा ओ थाने मोकळी अजमल घर अवतार लियो थे

राखी का त्यौहार है सुन लो बहनो मेरी ओ प्यारी, जिस बहिन का भाई नहीं हो रोती विलकती वेचारी, भाई

मात-पिता गुरु देवता, तीनो एक सामान, इन से हिल-मिल चलिए, वो नर चतुर सुजान, संसार सागर है मगर, माता-पिता एक

अरे गोगा जी महाराज मने तो तेरी याद सतावे रे बिन दर्शन मोहे चैन पये न अंसुवन में मेरे भीगे

जनम जनम का साथ है हमारा तुम्हारा तुम्हारा हमाराकरेंगे सेवा हर जीवन में पकड़ो हाथ हमाराजनम जनम का साथ है

नीली छत के पीछे बैठा जाने कौन मदारी जैसे जैसे नाच नचाए नाचे दुनियाँ सारी नीली छत के पीछे बैठा

दोहा श्री संकट हरन मंगल करन कृपालु । करहु दया निज दास पे निशिदिन दीनदयालु ॥ जय डमरूधर नयन विशाला

तर्ज – तेरे जैसा यार कहाँ…. बाबोसा का द्वार जहाँ , वहाँ मेरा आशियाना मुझे दरबार मिला ,करू तेरा शुकराना