कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं
कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं, बाद अमृत पिलाने से क्या फ़ायदा । कभी गिरते हुए को उठाया नहीं, बाद
कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं, बाद अमृत पिलाने से क्या फ़ायदा । कभी गिरते हुए को उठाया नहीं, बाद
चलो मन जाए घर अपने इस परदेस में..ओ परदेस में .. क्यूँ परदेसी रहे.. हे… चलो मन जाए घर अपने
केहड़े घर जावां एहो खड़ा मैं विचारदा इक घर रब्ब दा ते दूजा घर यार दा पहले रब्ब वल जावां
बेरंग दुनिया भी रंग भरी लगदी, जदो भी आँख मेरी सैयां नाल लगदी, सैयां ने रंग मैनु किश्ती चढ़ा लिया,
मैं चमकता हुआ सितारा हूं , तन से न्यारा मैं प्रभु का प्यारा हूं , मैं चमकता हुआ सितारा हूं
तर्ज – छुप गया बदली में…. खड़खड़ा जाकर मैं बड़ा हरषाता हुं, चौमुखा भैरव का दरशन जब पाता हुं, दादा
गैया तेरा हाल देख के मन मेरा भर आये जग की पालनहारी माँ, दर दर की ठोकरे खाये गैया तेरा
वजदे ढोल ते छेने जोडे जंडा वाले दे, की कहने की कहने जोडे जंडा वाले दे धरती नचे अम्बर नचे
जय रामदेव अवतारी, लीले घोड़े वाली असवारी अजमल घर अवतारी, जय हो जय हो म्हारा बाबा थारी जग घूमिया थारे
कृपा कर दो कृपासिंधु ये सेवक द्वार आया है,नज़र भर देख लो दाता यही अरदास लाया है,कृपा कर दो कृपा