
माटी में मिले माटी पानी में पानी
माटी में मिले माटी पानी में पानी, अरे अभिमानी अरे अभिमानी, पानी का बुलबला जैसा तेरी ज़िंदगानी, अरे अभिमानी अरे

माटी में मिले माटी पानी में पानी, अरे अभिमानी अरे अभिमानी, पानी का बुलबला जैसा तेरी ज़िंदगानी, अरे अभिमानी अरे

जयति जयति जय माँ तमसा, कोई नही पावन तुमसा, लखन सिया संग वन जब आये प्रथम निशा जहां राम बिताये,

साडे वल मुखड़ा मोड़ वे प्यारेया , आपे पाइयाँ कुंडियां ते आपे खिच्दा है डोर वे प्यारेया साडे वल मुखड़ा

सुख चैन दो सब को वला, गम हो न किसी के संग न, वंदना है वंदना तेरे चरणों में प्रभु,

धुणो तप राम को होव कोई बड़ भागी जां न साचा सतगुरु मिलया बांकी सुरता जागी इस धूणे पर मीरां

शब्द संभाल के बोलिये, शब्द के हाँथ न पाँव रे एक शब्द औषद करे, एक शब्द करे घाव रे मुख

घना दिन सो लियो, रे अब तो जाग मुसाफिर जाग पहला सूत्यो मात गरभ में पुन्दा पैर पसार हाथ जोड़

काछबो न काछबी रहता समंद में , लेता हरि रो नाम भक्ति रे कारण बाहर आया , कीन्हा संतो ने

जाग उठा है हर घर हिन्दू, जाग उठी करुणाई, हिन्दू-हिन्दू एक रहेंगे, हिन्दू भाई-भाई, जागा है उसने पाया है, सोया

नाग देवता त्राही माम त्राही माम, वो शंकर के गले को सजाने वाले है, वो विषनु को शैया पर सुलाने