
अब खत भी नहीं आते सदा भी नहीं आती
अब खत भी नही आते, सदा भी नही आती,,,,,,,, क्या य़ाद मेरी उनको, ज़रा भी नही आती बिमार मुहाबत को,

अब खत भी नही आते, सदा भी नही आती,,,,,,,, क्या य़ाद मेरी उनको, ज़रा भी नही आती बिमार मुहाबत को,

मैं क्या जानू मेरे रघुराई, तू जाने मेरी किस में भलाई सहारा तेरा रे, ओ साईं सारे द्वारे छोड़ भगवन

समझी लेवो रे मना भाई , अंत नी होय कोई आपणा । समझी लेवो रे मना भाई , अंत नी

घूँघट के पट खोल रे, तोहे पिया मिलेंगे । घट घट मै तेरे साईं बसत है, कटुक बचन मत बोल

दया कर, दान भक्ति का, हमें परमात्मा देना। दया करना, हमारी आत्मा को शुद्धता देना॥ हमारे ध्यान में आओ, प्रभु

झिलमिल ज्योत झलक रया मोती पारी ब्रम्ह निरंजन आरती काहे करू दिवलो न काहे करू बाती आसी कायन ज्योत जले

राखी भाई बहिन का त्यौहार है ये त्यौहार है, प्यार से गेरहा होता ये प्यार है होता ये प्यार है

कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं, बाद अमृत पिलाने से क्या फ़ायदा । कभी गिरते हुए को उठाया नहीं, बाद

चलो मन जाए घर अपने इस परदेस में..ओ परदेस में .. क्यूँ परदेसी रहे.. हे… चलो मन जाए घर अपने

केहड़े घर जावां एहो खड़ा मैं विचारदा इक घर रब्ब दा ते दूजा घर यार दा पहले रब्ब वल जावां