
म्हारो प्यारो राजस्थान
सतरंगी चुनरियाँ गजबण लहरियो, लहरावे, पहनावों है रंग रंगीलो पेचों मान बढ़ावे, सोना री नथनी प्यारी झुमका झूमें कान, देव

सतरंगी चुनरियाँ गजबण लहरियो, लहरावे, पहनावों है रंग रंगीलो पेचों मान बढ़ावे, सोना री नथनी प्यारी झुमका झूमें कान, देव

पंच तत्व की काया एको ध्यान राखजो एम लगी जाय एको ज्ञान राखजो धन दौलत अरु माल खजीना छूटी जायग

तर्ज : श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी जप लो माला, अलख निजारी , ध्यान लगा आठो, याम पुकारी , एक

जय भैरव देवा, प्रभु जय भैरव देवा । जय काली और गौर देवी कृत सेवा ॥ जय भैरव देवा…॥ तुम्ही

वे तू पतिया विच पहाड़ा विच इस दुनिया दियां बहारा विच, मैं लभदा तनु हर वेले फिर क्यों नजर नहीं

बेटी के होने से ही परिवार चलता है, बेटी से ही तो सारा संसार चलता है, सुनी धरती बेटी बिन

करे सुमरण हम मैया का, सभी अंधकार हरती हे, सहारा ले लो मैया का, सभी दुख दूर करती हे, करे

रमते रावल ने म्हारा आदेश देणा, अरे रमतें रावल ने म्हारा आदेश देणा हां हां, जद शिवरु जद भेला हेलो

छोड़ झमेला झूठे जग का, कह गए दास कबीर । पार लगायेंगे एक पल में तुलसी के रघुवीर ॥ भूल

मंजिल मिली, मुराद मिली, मुदा मिला, सब कुछ मुझे मिला, जो तेरा नक्श-ऐ-पा मिला | जब दूर तक ना कोई,