जहाँ पाँच देव बसते हैं
जहाँ पाँच देव बसते हैं,उस धाम के लिये, श्रद्धा से शीश झुका लो गंगा राम के लिये, जन जन के
जहाँ पाँच देव बसते हैं,उस धाम के लिये, श्रद्धा से शीश झुका लो गंगा राम के लिये, जन जन के
हम मोड़ने चले हैं युग की प्रचंड धारा, गिरते हैं उठते-उठते, हे नाथ दो सहारा। दुवृत्तियाँ बढ़ी हैं, उनको उखाड़ना
जान कढ़ लई आ बेईमान जान वाली गल कर के, खबरे क्यों दर लगदा ना रह जावा दिल फड़ के,
अपने चरणों की भक्ति भगवान् मुझे दे दो । मैं भुला हुआ राही, नहीं कोई सहारा है । मझदार में
तुम्हारी मोहब्बत की रोशनी से हुए उजाले ओ बाबा ऐसे, आई बहारे जीवन में मेरे है प्यारे हम भी तो
यार दी दीवानी सरकार दी दीवानी, मैं कोजी मेरे काम भी कोजे करा नवाज न रखड़ी रोजे, मैं रंग मुरशद
छोटी सी उमरिया में मीरा बाई नै हरी मिल्या जी आज मीरा नै मिलगयो – मिलगयो गाया रो ग्वाल साधारी
ॐ सुखकंद से सच्चिदानन्द से याचना है, श्रेय पथ पर चले कामना है. श्रेय पथ पर चले कामना है. कृत
करता रहूँ गुणगान मुझे दो ऐसा वरदान तेरा नाम ही लेते लेते मेरे तन से निकले प्राण तेरी दया से
भूलो न भूलो न भूलो न प्रभु याद रहे, सुख में रहे या दुःख में जैसा भी हाल होगा, चाहे