
भजना सूं लागे मीरा मीठी
भजना सूं लागे मीरा मीठी, मेवाड़ी रे राणा जी, भजना सूं लागे मीरा मीठी का तो मीरा तेरा रमईयो बता

भजना सूं लागे मीरा मीठी, मेवाड़ी रे राणा जी, भजना सूं लागे मीरा मीठी का तो मीरा तेरा रमईयो बता

जगत में सबसे बड़ी है माँ अरे पगले जगत में सबसे बड़ी है माँ जिसने तुझको पाला पोसा उससे बड़ा

तर्ज – स्वर्ग से सुंदर सपनो से प्यारा…. मिगसर की पाँचम है आई , सजेगा फिर दरबार बाबोसा के होंगे

समदर्शी सतगुरु मिला दिया अविचल ज्ञान, जहाँ देखो तहं एक ही, दूजा नाहीं आन। समदर्शी सतगुरु किया, मेटा भरम विकार,

ऐ मेरे स्वामी अंतरयामी नित जपते तेरा नाम तेरे भरोसे छोड़ दी नैया तू जाने तेरा काम ऐ मेरे स्वामी

भगवान् तुझे मैं ख़त लिखता पर तेरा पता मालूम नहीं। रो रो लिखता जग की विपदा, पर तेरा पता मालूम

पाँव पलक रो नहीं पतो, तू करे काल की बात, कुण जाणे क्या होवसी, उगतड़े परभात। भजन सरीसा सुख है

तेरी काया की हवेली बन्दे एक दिन डह जाएगी एक दिन डह जाएगी रे बन्दे एक दिन डह जाएगी कोई

नफरत ना कर इंसान, यहां तूं दो दिन का मेहमान, छोडकर जाना होगा, फिर नहीं आना होगा.. यश का तेरे

येई हो विठ्ठले माझे माऊली ये, निढळावरी कर ठेऊनी वाट मी पाहे, आलिया गेलीया हातीं धाडी निरोप, पंढरपुरी आहे माझा