
सगला निमाड़ म रे गूंज जिनको नाम छे
खरगोन जिला म देखो प्यारो शिरडी धाम छे म्हारा मोती वाला बाबा को वहा प मुकाम छे सगला निमाड़ म

खरगोन जिला म देखो प्यारो शिरडी धाम छे म्हारा मोती वाला बाबा को वहा प मुकाम छे सगला निमाड़ म

किस धुन में बैठा बावरे और तू किस मद में मस्ताना है, ओ सोने वाले जाग जा संसार मुसाफिर खाना

जले है दीवा जले है एक दीवा महल में जले है, एक दीवा महल में जले जले है , पांच

सुमिरन कर ले मेरे मना, तेरी बीती उम्र हरी नाम बिना । पंछी पंख बिना, हस्ती दन्त बिना, नारी पुरुष

स्वास देना प्रभु इतनी तो कम से कम तुमसे मिलने से पेहले न निकले ये दम, जो चलाता है ये

घट घट में राम समाना, कण कण मेँ राम समाना |टेर|| धरणी से लेकर असमाना, नदी निर्झर पर्वत पाषाणा ||1||

मागतो मी पांडुरंगा फक्त एक दान, मिळे ज्याने मुक्ती ऐसे द्यावे मज ज्ञान मिळे ज्याने मुक्ती ऐसे द्यावे मज ज्ञान

भैरु जी को नखरों न्यारो है बाला जी को नखरों न्यारो है… भैरू जी तो पहरे कांचलिया ॥ बाला जी

उठ जाग मुसाफिर भोर भई, अब रैन कहाँ जो सोवत है | जो सोवत है सो खोवत है, जो जगत

हरी न रूणीचो बसायो प्रभु न रुणीचो बसायो द्वारिका से आय पगा उभाणा गया तिरथां अन्न रति नहीं खायो जाय