आया शरण ठोकरें जग की खा के
आया शरण ठोकरें जग की खा के, हटूंगा प्रभु तेरी दया दृष्टि पाके। पहले मगन हो सुखी नींद सोया, सब
आया शरण ठोकरें जग की खा के, हटूंगा प्रभु तेरी दया दृष्टि पाके। पहले मगन हो सुखी नींद सोया, सब
आओ मिलके विचार करे, पहले हम आप सुधरे, फिर औरो का सुधार करे, ऐसा जीवन हमारा हो, चांद सितारों से
आसरा इस जहाँ का मिले ना मिले। मुझको तेरा सहारा सदा चाहिये॥ आसरा इस जहाँ का मिले ना मिले। मुझको
भरोसे थारे चाले हो गुरुजी म्हारी नाव गुरुजी म्हारी नाव गुरुजी म्हारी नाव भरोसे थारे चाले हो गुरुजी म्हारी नाव
काशी नगर के मेरे कबीरा ऐसी दिखाई अनोखी वो लीला भगतो को तारने खातिर लिए साहिब अवतार और इस धरती
तर्ज – तेरे संग यारा खुश रंग बहारा…. ओ बाबोसा तुम्हारा , मेरे सपनों में आना ये रात की कहानी
अब तक तो जीय तो खुद के परिवार के लिये, अब जीना सीखो ओरो के उपकार के लिए, तू बहुत
भाई और बहनो का हो स्पेशल ये त्यौहार, हैप्पी रक्शा बंधन, गेहरा हो आपस में प्यार, हैप्पी रक्शा बंधन, बहनो
एक दिन चंदा नील गगन में सोच के डूबे अपने मन मे जरा सी बात पे सब सोए मैं क्यों
दास खड़ा सब द्वार पे, बोले निज की बात। चरण कमल को आसरों, थे दीजो मेरी मात।। तिरुमलगिरी के माय