दास खड़ा सब द्वार पे
दास खड़ा सब द्वार पे, बोले निज की बात। चरण कमल को आसरों, थे दीजो मेरी मात।। तिरुमलगिरी के माय
दास खड़ा सब द्वार पे, बोले निज की बात। चरण कमल को आसरों, थे दीजो मेरी मात।। तिरुमलगिरी के माय
गंगा यमुना सरस्वती के बहते अमृतधारे यहाँ आशनां किये या, संगम सब देवो संग होगा संगम घाट किनारे तू धयान
मन दे तू पीछे न लगी मन नु स्मजौना है तू, किती ये मन दी कही पिछो पश्ताउना है तू,
मन के हारे हार है मन के जीते जीत, मन ले जावे बैकुंठ में मन करावे फ़जीत, मैं जानिया मन
हंस्लो मित्र कोनी थारो ए भोली काया तू जाणे काया में ठग राख्यो यो हंस्लो आप ठगोरो ए अमर लोक
लगी ना गरीबा नाल लगी ना अमीरा नाल, ऐसी लगी माँ मेरी लग गई फकीरा नाल, ऐसी लगी माँ मेरी
की दम दा भरोसा यार, दम आवे ना आवे । इस जीवन दे दिन चार, दम आवे ना आवे ॥
क्या वह स्वभाव पहला सरकार अब नहीं है, दीनों के वास्ते क्या दरबार अब नहीं है या तो दयालु मेरी
ਭਗਤੋ ਮੇਲਾ ਆਇਆ ਬਾਬੇ ਸੋਢਲ ਦਾ ਦਰ ਫੂਲਾ ਨਾਲ ਸਜਾਇਆ ਬਾਬੇ ਸੋਢਲ ਦਾ ਸ਼ਹਿਰ ਜਲੰਧਰ ਜਲ ਦੇ ਅੰਦਰ, ਸੋਹਣਾ ਤੇਰਾ
बातों को कर लो बंद, कथा ग्यारस की सुन लो जी, बिना पुत्र का बाप, खेतों में रोवेजी मेरे हका