
माँ तुझसा और ना कोई
तेरी तुलना किससे करू माँ तुझसा और ना कोई, जब जब टुटा मेरा खिलौना मुझसे पहले तू रोइ, तेरी तुलना

तेरी तुलना किससे करू माँ तुझसा और ना कोई, जब जब टुटा मेरा खिलौना मुझसे पहले तू रोइ, तेरी तुलना

धरती माता की संतान चलो चले कुंभ महान, पापो से मुक्ति मिल जाती कर तिरवेनी में अस्नान, तीर्थ राज प्राग

सब में तू है ना दूसरा कोई, कैसे केहदूँ के है बुरा कोई। पहले लगता था, अब नहीं लगता, तुम

मनवा जीवन का काहे करत घुमान, मोह माया को तज के उसकी महिमा को ले जान, मनवा जीवन का काहे

चांदण चांदण झाली रात, एकविरीची पाहत होते वाट, पुण्याचा सोनार बोलवा ग, आईला नथनि घडावा ग, हळदी ग कुंकवाच घेऊन

मन रे, तू काहे ना धीर धरे वो निरमोही मोह ना जाने जिनका मोह करे मन रे, तू काहे धीर

दुःख सुख दोनों तन के कपडे किस कारन पहनाए किस कारन पहनाए तुझे क्यों समझ न आए, तुझे क्यों समझ

भइयाँ भी तू है मेरा बाबुल भी तू ही दोनों रिश्तो की लाज निभाना, घर से विदा कर के दिल

आया शरण ठोकरें जग की खा के, हटूंगा प्रभु तेरी दया दृष्टि पाके। पहले मगन हो सुखी नींद सोया, सब

आओ मिलके विचार करे, पहले हम आप सुधरे, फिर औरो का सुधार करे, ऐसा जीवन हमारा हो, चांद सितारों से