
*चीरहरण रहस्य* *1*
चीरहरण के प्रसँग को लेकर कई तरह की शंकाएँ की जाती हैं, अतएव इस सम्बन्ध में कुछ विचार करना आवश्यक

चीरहरण के प्रसँग को लेकर कई तरह की शंकाएँ की जाती हैं, अतएव इस सम्बन्ध में कुछ विचार करना आवश्यक

परम श्रद्धेय स्वामी जी महाराज जी कह रहे हैं कि साधन जितने बताए जाते हैं, उन साधनों में भक्ति सर्वश्रेष्ठ

“आत्माsस्य जन्तोर्निहितो गुहायाम्।” (उपनिषद्) भगवान् तो हमारे भीतर ही बैठे हैं, हम उन्हें बाहर ढूँढते-फिरते हैं। एक सेठ दिल्ली से
एक बार एक राजा अपनी प्रजा का हाल-चाल पूछने के लिए गाँवो में घूम रहा था, पुराने जमाने में राजा

चार कीमती रत्न भेज रहा हूँ..मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप मुझे जरुर धन्यवाद कहाेगे..!1.पहला रत्न है:-” माफी “तुम्हारे लिए

क्या आपने कभी ईश्वर से बात करने का प्रयास किया है। अगर नहीं किया है तो आज से ही परमात्मा

Hare Rama Hare Krishna ” प्रेम ही तो एकमात्र वस्तु है इस जगत में जिसमें ईश्वर की थोड़ी झलक है।

हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरेहरे राम हरे राम राम राम हरे हरे लापरवाही मत करो , उधार

कृष्ण! कृष्ण! कृष्ण! भगवान श्रीकृष्ण पूर्णावतार हैं…. उनकी श्रेष्ठता, कृतज्ञता शब्दों में व्यक्त करना हम जैसे सामान्य व्यक्तियों के लिए

संन्यासी का अर्थ है : जो निरंतर जागा हुआ जी रहा है, होशपूर्वक जी रहा है। कदम भी उठाता है,