
भक्त श्रीप्रयागदासजी
(भाग 01)
जनकपुर में एक ब्राह्मण दम्पत्ति वास करते थे । ब्राह्मण परम विद्वान् और प्रेमी थे । ब्राह्मण बड़े बड़े लोगो

जनकपुर में एक ब्राह्मण दम्पत्ति वास करते थे । ब्राह्मण परम विद्वान् और प्रेमी थे । ब्राह्मण बड़े बड़े लोगो

भगवान् श्रीरामजी भक्ति से लाभ और भक्तिकी स्वतन्त्रता का वर्णन करते हुए तथा भक्ति प्राप्ति के उपायों का वर्णन करते

*एक दिन भगवान बुद्ध का पूर्ण नामक एक शिष्य उनके समीप आया और उसने तथागत से धर्मोपदेश प्राप्त करके ‘सुनापरंत’

“अनन्यचेताः सततं यो मां स्मरति नित्यशः।तस्याहं सुलभः पार्थ नित्ययुक्तस्य योगिनः।।”(श्रीमद्भगवद्गीता, ८/१४) “हे अर्जुन! जो अनन्य भाव से निरन्तर मेरा स्मरण

पागलबाबा के कुँज में “ग्वारिया बाबा जी” के चरित्र का गायन हो रहा है । सख्य रस के ये अद्भुत

एक बहुरूपिया राज दरबार में पहुंचा, प्रार्थना की- “अन्नदाता बस ₹5 का सवाल है और महाराज से ये बहुरूपिया और

श्रीहरिः।एक गाँव में भागवत कथा का आयोजन किया गया, पण्डित जी भागवत कथा सुनाने आए। पूरे सप्ताह कथा वाचन चला।

कोई गोपी उद्धव पर व्यंग्य करती है। मथुरा के लोगों का कौन विश्वास करे? उनके तो मुख में कुछ

एक बार दो आदमी एक मंदिर के पास बैठे गपशप कर रहे थे । वहां अंधेरा छा रहा था और

एक संत थे …….. वे अपने ठाकुर “श्रीगोपीनाथ” की तन्मय होकर सेवा-अर्चना करते थे।.उन्होंने कोई शिष्य नहीं बनाया था परन्तु