
दिल और मन
प्राणी के पास दिल और मन होता है। मन हर समय उठक पटक करता है। दिल मे प्रेम होता है।

प्राणी के पास दिल और मन होता है। मन हर समय उठक पटक करता है। दिल मे प्रेम होता है।

परम पिता परमात्मा को प्रणाम है। हे परमात्मा जी आज मेरा दिल बार-बार तुमसे ये पुकार कर रहा है कि

आन्तरिक भाव की बाह्य अभिव्यक्ति किसी दर्शक या अनुमोदक की अपेक्षा नहीं करती… आन्तरिक भाव का स्वाभाविक विकास वहीं होता

मनुष्य जीवनका समय बहुत मूल्यवान् है। यह बार-बार नहीं मिल सकता। इसलिये इसे उत्तरोत्तर भजन-ध्यानमें लगाना चाहिये।मृत्यु किसीको सूचना देकर

देखो रोते तो दोनों हैं, प्रभु नाम जपने वाले भी, न जपने वाले भी। पर कारण में बड़ा अंतर है

. भगवान् ने गोपियों का अपने हाथ से श्रृंगार किया। अत: गोपियों को भी अभिमान हो गया, कि कृष्ण

भगवान की सच्ची भक्ति के लिए हमे कहीं भी जाने की जरूरत नहीं है। कुछ ही समय भगवान का नाम

प्रभु मुझे तुम हवा का, एक झोंका ही बना दो। अपने दिल के मकरंद रस को, लेकर हवा ऐसे चली,

जय श्री राम जी अन्तर्मन का भाव ही पुजा है। हृदय में उठते भाव को शब्द नहीं हुआ करते हैं।

भगवान से मिलन के लिए लगन समर्पित भाव प्रेम और सत्यता हैं। कोई भी कार्य करे जब तक मन लगाकर