
शान्ति
जय श्री राम आज हमे अपने अन्दर शान्ति जाग्रत करके अपने तन मन की रक्षा करनी चाहिए। भगवान को भजते
जय श्री राम आज हमे अपने अन्दर शान्ति जाग्रत करके अपने तन मन की रक्षा करनी चाहिए। भगवान को भजते
आत्म चिन्तन किया या नहीं परमात्मा के चरणो में समर्पित हुई या नहीं। अन्दर परमात्मा से मिलन की तङफ जगी
भक्त के दिल में भगवान तङफ रहने नहीं देते हैं। भगवान भक्त के दिल की कामना को पुरण करने के
जय श्री राम प्रभु प्राण नाथ को प्रणाम है ।प्रणाम करना हमारी संस्कृति है। प्रणाम साधना है। हम प्रणाम परमात्मा
भगवन्नाम के निरंतर जप का मानव शरीर पर कितना अद्भुत प्रभाव होता है, यही दर्शाती विभिन्न भक्तों के जीवन की
पुजा मन की है आपका अन्तर्मन पुजा करना चाहता है तब उनके सामने मस्तक नवा देने मात्र से पुजा हो
अ प्राणी तुझे दिन भर मुस्कान भरनी है। तब दिल परमात्मा को देदे ।दिल मे साज सज जाएगे ।दिल मे
एक सेठ बड़ा साधु सेवी था। जो भी सन्त महात्मा नगर में आते वह उन्हें अपने घर बुला कर उनकी
सन्त हरिदास जी पर मार पड़ी, शरीरसे खून निकलने लगा | मारने वाले कहते – ‘हरि-नाम लेना छोड़ दो |’
हे परम पिता परमात्मा मुझे अपने अन्दर बहुत खोट दिखाई दे रहे हैं। मै अपने मन को शांत नहीं रख