संत कुछ नहीं चाहता
ॐ श्री परमात्मने नमः अच्छे सन्त-महात्मा पहले युगों में भी कम हुए हैं, फिर कलियुग में तो और भी कम
ॐ श्री परमात्मने नमः अच्छे सन्त-महात्मा पहले युगों में भी कम हुए हैं, फिर कलियुग में तो और भी कम
माता जानकी ने पूछा कि हनुमान एक बात बताओ !! बेटा तुम्हारी पूंछ नहीं जली आग में और पूरी लंका
दृष्टा भाव समर्पण का पूर्ण रूप होता है,, प्रभु को समर्पित होकर जीवन व्यतीत करना,, और जीवन में आने वाले
धन्ना भक्त को सिलबट्टे में भगवान के दर्शन हुए धन्ना ने कोन से ग्रथं पढे धन्ना के आत्म विश्वास पर
आप एकांत में कभी अपने आप से प्रेमपूर्ण होने का प्रयोग करें, खोजें, टटोलें अपने भीतर। हो जाएगा, होता है,
विश्वास मानव जीवन की अनमोल संपदा है। सब कुछ खो जाने पर भी यदि हमने जीवन में अपने विश्वास को
आज का आध्यात्मिक विचार भक्ति के रूप कोई भजन गाकर भक्ति करता है कोई प्रभु का नाम लिखकर भक्ति करता
1 मंदिर परम्परागत नागर शैली में बनाया जा रहा है। 2 मंदिर की लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फीट, चौड़ाई
यदि दुख का स्वाद आनंददाई हो जाय तो सुख की लालसा ही नही होगी दुःख में सुख की खोज हमारी
एक गोपी को श्रीकृष्ण का बहुत विरह हो रहा था। सारी रात विरह में करवटे बदलते ही बीती। सुबह ब्रह्म